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पिकनिक कहानी लेखनी प्रतियोगिता -02-Jul-2022

पिकनिक 
मैं और प्रियंका जन्म से एक दूसरे के पड़ोसी रहे हैं और अब तक एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हैं। मैं, मेरी बहन और प्रियंका 5 वीं कक्षा तक साथ स्कूल जाते, साथ बैठते, खेलते और पढ़ाई करते थे। वो हमारे घर भी आया करती थी। 5 वीं कक्षा में ही प्रियंका की दोस्ती कक्षा के कुछ शरारती लड़कों से हुई। मुझे लगा प्रियंका मेरे से ज्यादा उन्हें पसंद करती है। मैं प्रियंका से दूर रहने लगा। इस समय मेरी उम्र 12 और प्रियंका की 10 थी। पता चला की स्कूल वाले पिकनिक पर ले जा रहें हैं। मैं प्रियंका से नाराज़ था और जाना तो नहीं चाहता था लेकिन उन लड़कों से प्रियंका को दूर रख सकूं, इसलिए मैं भी अपनी बहन के साथ गया। बस 2 सीटर थी और हम तीनों को साथ ही बैठना था तो प्रियंका बोली तुम मेरे गोद में बैठ जाओ। मैं जब प्रियंका की गोद में बैठा तो मुझे शर्म आ रही थी क्योंकि मेरी बहन भी साथ में थी। मैं पंजों के बल आधा घंटा रहा और सही से बैठ नहीं पाया। जब दर्द हुआ पैरों में तो मैंने पैर हवा में कर लिए और आराम से प्रियंका की गोद में बैठा। इस दौरान बस में बेवफाई एलबम सॉन्ग चल रहे थे जो हम दोनों को बहुत पसंद आए। आज भी जब इन गानों को सुनता हूं तो बस के वो सुनहरे पल याद आ जाते हैं। जब हम बस से घूमने के लिए उतरे, तो मैं प्रियंका से दूर चल रहा था। तब उसने पीछे मुढ़कर उन लड़कों के सामने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए मेरे से कहा कि सूरी, मेरा हाथ पकड़ो। अब मुझे यकीन हो गया था कि मैं ही उसका बेस्ट फ्रेंड हूं। मुझे उसका हाथ पकड़ने में बहुत शर्म आ रही थी। ऐसा लग रहा था मानों पहली बार उस्को स्पर्श किया है। फिर हमने बहुत मस्ती की पूरी पिकनिक में। एक बार एक अंधेरी गुफा में जाना था। उसमें भयनक लाइटें जल रहीं थी जो और भी उस गुफा को और भी डरावनी बनाती थीं। प्रियंका काफी डर गई थी और मेरे से आकर चिपक गई। मैं उसे समझाया लेकिन वो नहीं मान रही थी। फिर मैं उसके कंधे पर अपना हाथ रख के बाहर लाया। लौटते समय हम काफी थक चुके थे। इसलिए लौटते समय बस में प्रियंका मेरी गोद में बैठी। फिर हम गानों का आनंद लेते हुए घर आए। हम दोनों जब अपने अपने घर जानें को थे, तो एक दूसरे की और देखा और मुस्कराए। हम नहीं जानते थे कि इस पल के बाद हमें 4 साल का विरह भोगना होगा। शायद हमने उस दिन अपनी आज तक की जिन्दगी के हसीं पल व्यतीत कर लिए थे। इस दिन के बाद कुछ दिन स्कूल बंद थे। इन दिनों में मैं अपने परिवार के साथ दीदी की शादी के लिए गांव चला गया और 4 माह करीब गांव में ही रहा। 6 वीं कक्षा में अलग स्कूल में दाखिला लिया और फिर हमारी मुलाकात 10 वीं कक्षा के कोचिंग में हुई। इन 4 सालों के विरह का वर्णन यहां संभव नहीं है।

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6 Comments

Arvaz Ahmad

03-Jul-2022 10:35 AM

Nice

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Abhinav ji

03-Jul-2022 09:04 AM

Very nice

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Alfia alima

03-Jul-2022 05:19 AM

Bahut khub

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